वर्मीबेड लगाने की विधिः
- बेड बनाने के लिए सबसे पहले दो अंगुल (लगभग 1.5 इंच की ऊँचाई तक) बजरी या बालू डालनी चाहिए इससे बेड में नमी बनाये रखना आसान हो जाता है। केचुऐं और उसके अण्डें भी नीचे नही जाते है। बजरी अपनी क्षमता के अनुरूप पानी सोख लेती है और अधिक पानी को बहाकर निकाल देती है। नमी की कमी होने पर बजरी द्वारा सोखा गया पानी कैपिलरी एक्शन के कारण बेड के ऊपर आ सकता है।
- बजरी के ऊपर चार अंगुल (3 इंच मोटाई) तक सूखा कचरा/फसल अवशेष डालना चाहिए।
- बजरी और मोटे कचरे के ऊपर एक हाथ की ऊँचाई या 18-20 इंच की ऊँचाई तक गोबर डाल देना चाहिए।
- नीचे बिछाया जाने वाले सूखा कचरा बडे़ टुकडों में भी डाला जा सकता है
- पक्के फर्श या कम नमी सोखने वाले स्थान पर ही बजरी की आवश्यकता होती है।
चित्र: खुले पेड़ पौधो की छाव में वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन का दृश्य
- खेत पर उपलब्ध कृषि अवशेष को अलग अलग परतों में या सभी प्रकार के अवशेष को अच्छी तरह मिलाकर बेड में भरा जा सकता है।
- बेड बनाने में 3 से 5 दिन के बाद ही उसमें केचुए छोडने लायक स्थिति बनती है।
- ताजा या थोड़ा पुराना गोबर होने पर बेड में लगातार नमी बनाये रखने और हवा का प्रवाह बनाये रखने के लिए बेड में दोनों ओर से खुली पाइप या लम्बे कूचे डाल देने चाहिए।
- एक बेड से दूसरे बेड के बीच लेबर के आने जाने एवं काम करने के लिए उचित स्थान छोडना चाहिए।